लॉकडाउन के चलते नौकरी छोड़ घरों को लौटे कुशल कामगारों को कंपनियां वापस बुलाने लगी हैं। रविवार को पूना की एक निजी कंपनी ने अपने कर्मचारियों को लाने को बस भेजी। क्षेत्र के कोरमी और भदखरी गांव के तकरीबन डेढ़ दर्जन कामगार राजी खुशी नौकरी को रवाना हो गए। इसमें कुछ नए युवक भी शामिल थे।
कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते कंपनियों के बंद होने से बेरोजगार होकर लौट आए कामगारों की पूछ फिर से बढ़ गई है। कल कारखानों के संचालन के लिए कर्मचारियों की आवयश्यकता महसूस कर रही पूना की एक निजी कंपनी ने अनलॉक होते ही कर्मचारियों को वापस लाने को बस भेजी। कोरमी गांव के छह और भदखरी गांव के सात युवक दोबारा काम पर लौट गए। जबकि आधा दर्जन नए बेरोजगार युवक भी जाने वालों में शामिल रहे। अजय, अजीत, संतोष, राजू, विक्की, मनीष, श्रवण आदि ने बताया महाराष्ट्र के पूना में बिजली के खंभे निर्माण कंपनी में दो वर्ष से काम कर रहे थे। वहां बिजली खंभों की ढलाई की जाती थी।
दो लोगों की एक की मजदूरी हजार रुपये हो जाती थी। इस तरह महीने में 30 हजार रुपये कमा लेते थे। 12 घंटे काम करने पर मजदूरी बढ़ जाती थी। इससे रोटी रोजी का काम चल जा रहा था। लॉकडाउन हुआ तो कंपनी बंद हो गई। बैठ कर खाने में सब पैसा खत्म हो गया तो 20 मई को किसी तरह घर आ गए। एक जून को अनलॉक हुआ तो फिर कंपनी ने अपने खर्चे से बस भेज उन्हें बुलाया और इस बार कुछ नए लोगों को भी काम करने के लिए साथ लेकर जा रहे हैं।