कर्मनाशा नदी के तटवर्ती इलाके फल, फूल और हरी सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को लॉकडाउन से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। फेज पांच में रियायत मिलने के साथ अच्छे दिनों की आस जगी है। बाहरी व्यापारियों के नहीं आने से फसलों की निकासी नहीं हो सकी, जबकि किसान फसलों को मौसम की मार और कीट-पतंगों से बचाते रहे। दर्जनों किसानों ने बड़े पैमाने पर खेती की है।
नरवन में कर्मनाशा नदी के तटवर्ती इलाके सहित मैदानी भागों मसलन चारी, चिरई गांव, दैथा, मुड्डा, अरंगी, कुआ, अदसड़, ककरैत, करौती, ओयरचक, रामपुर, मथुरापुर आदि गांवों के सीवान में किसानों ने सब्जी, तरबूज, नाशपाती की खेती की है। ककरैत में तो 600 बीघा भूमि में खेती की गई है, लेकिन जब फसल के बाजारों में जाने का समय आया तो कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन घोषित कर दिया गया। तरबूज, नाशपाती और सब्जियां खेतों में ही खराब हो गईं। एक जून से अनलॉक-1 लागू हुआ है तो किसानों को उम्मीद जगी है कि बची फसल का कुछ मुनाफा मिल सकेगा। यह भी तय है कि मुनाफा पिछले वर्ष की तुलना में कम ही होगा।