जिला अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में थर्मल स्कैनिग के बाद ही किसी भी मरीज को अंदर जाने की अनुमति मिलेगी। संक्रमण के लक्षण मिलने पर उसे गेट के बाहर से ही जांच के लिए भेज दिया जाएगा। यह नई व्यवस्था जिला अस्पताल में आने वाले संक्रमित मरीजों को रोकने के लिए की गयी है।
कोरोना वायरस को लेकर आम नागरिकों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी से लेकर डाक्टर तक भी खौफजदा हैं। सभी अपने अपने स्तर से सावधानी के साथ सतर्कता बरत रहे हैं। इसके बाद भी जिला अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष में कोरोना संक्रमित लोग इलाज के लिए पहुंच जा रहे हैं। कोरोना संक्रमण के संदिग्ध अब तक तीन मरीज इलाज के लिए पहुंच चुके थे। उक्त मरीजों के आने के बाद पूरे अस्पताल को सैनिटाइज कराने के साथ ही इमरजेंसी को दो बार ट्रामा सेंटर में शिफ्ट करना पड़ गया था। कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने से जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. आरआर श्रीवास्तव के साथ एक स्टाफ नर्स भी संक्रमित हो गईं थी।
वहीं अस्पताल के आधा दर्जन कर्मियों को क्वारंटाइन होना पड़ा था। एसआइसी (प्रमुख चिकित्साधीक्षक) डॉ. अनूप कुमार ने कहा कि संक्रमित मरीजों को इमरजेंसी गेट पर रोकने के लिए अब थर्मल स्कैनिग के साथ ही सैनिटाइज करने की व्यवस्था कर दी गयी है। इमरजेंसी कक्ष में प्रवेश करने के पहले मरीजों का थर्मल स्कैनिग फिर उनके हाथों का भी सैनिटाइज कराया जाएगा। जो भी संदिग्ध मिलेंगे उन्हें गेट के बाहर से ही जांच के लिए भेज दिया जाएगा। इमरजेंसी कक्ष के चिकित्सक शैलेंद्र विमल ने कहा कि जांच की नई व्यवस्था लागू होने के बाद से अस्पताल के सभी स्टाफ सुरक्षित रहेंगे। इससे मरीजों के इलाज करने में डाक्टर अपने को असुरक्षित महसूस नहीं करेंगे।