कोरोना संकट के दौर में घर लौटने को मजबूर हुए राज्य के श्रमिक इन दिनों जॉब ऑफर से परेशान हैं। दूसरे राज्यों के किसान उनके लिए वातानुकूलित बसें भेज रहे हैं। तेलांगना और तमिलनाडु की रीयल एस्टेट कंपनियां तो हवाई जहाज भेज रही हैं। इस रिवर्स माइग्रेशन के बीच बिहार सरकार कह रही है कि घर में ही रहिए, यहीं रोजगार मिल जाएगा। श्रमिक दुविधा में हैं। फिर भी उनका बड़ा हिस्सा काम की पुरानी जगह पर लौटने का मन बना रहा है। कुछ लोग लौट भी रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं- मजबूरी में कोई श्रमिक बाहर नहीं जाएगा। हां, विशेष हुनर वाले श्रमिकों को कहीं ऑफर मिले तो जा सकते हैं।
पंजाब, हरियाणा व हिमाचल से आ रहीं लग्जरी बसें
फिलहाल इन श्रमिकों को वापस ले जाने के लिए पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से लग्जरी बसें आ रही हैं। पहली बस शिवहर जिले में आई थी। उससे 30 श्रमिक गए। दूसरी और तीसरी बसें मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर में आईं थीं। अब श्रमिकों को हिमाचल से आने वाली बसों का इंतजार है। एक जून से ट्रेनों की आवाजाही सामान्य होने के बाद श्रमिक अपने स्तर से भी टिकट कटा कर लौट रहे हैं। लेकिन उन श्रमिकों के मन में भय बना हुआ है, जिन्हें बुरे दौर में नियोजकों ने उपेक्षित छोड़ दिया था।
बिहार आने के साथ ही लौटने लगे थे श्रमिक
रिवर्स माइग्रेशन की शुरूआत तीन मई को ही हो गई थी। उस दिन प्रवासियों को लेकर पहली ट्रेन तेलांगना से खगडि़या आई थी। लौटती में उसी ट्रेन पर सवार होकर 222 श्रमिक तेलांगना लौट गए थे। ये श्रमिक होली की छुट्टी में गांव आए थे। लॉकडाउन हुआ तो घर पर ही रह गए। इनके लिए रेल टिकटों का बंदोबस्त तेलांगना के उस चीनी मिल मालिकों ने किया था, जिसमें वे काम करते थे।