आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की चमत्कारी एंटी बायोटिक, एंटी वायरल और स्टेरॉयड दवाओं की चकाचौंध में हम अपनी वैदिककाल से प्रमाणित सनातन चिकित्सा पैथी आयुर्वेद को भूलते जा रहे थे, पर लाइलाज एवं प्राणघातक चीनी वायरस कोरोना से सामना होने पर हमें आयुर्वेद ने ही संभाला। आयुर्वेदिक औषधि और घरेलू मसालों के रूप में युगों से इस्तेमाल हो रहे गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, सोंठ, अदरक, लौंग, काली मिर्च और दालचीनी का काढ़ा कोरोना के खिलाफ जंग में 'कारगर अस्त्र' साबित हो रहा है।
आधुनिक पैथी के चिकित्सा विज्ञानी भी मानते हैं कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की खासियत के बल पर यह काढ़ा न सिर्फ अधिकतर लोगों को संक्रमण से बचा रहा है बल्कि संक्रमित रोगियों की प्राणरक्षा और शीघ्र संक्रमणमुक्त होने में भी रामबाण साबित हो रहा है। इन सहज-सुलभ औषधियों एवं मसालों से तैयार काढ़ा दिन में एक या दो बार पीकर करोड़ों लोग कोरोना को मात दे रहे हैं। काढ़े का प्रभाव देखकर आयुष मंत्रालय और कई अन्य प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान इन आयुर्वेदिक औषधियों-मसालों के औषधीय गुणों पर नए संदर्भ में शोध एवं परीक्षण कर रहे हैं।