लॉकडाउन और कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रवासी श्रमिकों का घर वापसी लगातार जारी है। जिसको जो साधन मिल रहा है उसी के सहारे घर की ओर चल दे रहे। कोई बस-रेल, कार-जीप या कोई बैल या घोड़ा गाड़ी के सहारे सफर तय कर रहे हैं। इसी क्रम में मंगलवार की सुबह प्रयागराज-वाराणसी हाइवे पर राने चट्टी के पास कुछ प्रवासी घोड़ा गाड़ी की सवारी के साथ अपने घर लौटते दिखे।
साहब, जिस घोड़ा गाड़ी पर ईंट ढोके आपन व परिवार के लोगन क पेट भरत रहली, लॉकडाउन में आज वही घोड़ा गाड़ी मुश्किल समय में घर क दूरी तय करे क हमसफर बन गईल बा। ठेकेदार के जबाब देहले पर पेट भरह वाली घोड़ी ही आज हम लोगन क सहारा बन घर पहुंचावत बा। कोरोनवा पेटे पर जरूर लात मार देहलस पर हम लोगन क हिम्मत ना तोड़ पइले हव। हाइवे पर राने चट्टी के पास मंगलवार की सुबह घर जा रहे तीन श्रमिकों ने कुछ इस कदर अपनी दर्द बयां किया।
कोरोना महामारी के बीच हुए लॉकडाउन में बिहार के गया में स्थित ईंट भट्ठे पर घोड़ा गाड़ी से कच्चे ईंट की ढुलाई करने वाले रामफल, पवन व हरिकेश नामक श्रमिक भट्ठे पर काम बंद होने से असहाय हो गए। ठेकेदार व मालिक ने कह दिया कि घर जाओ। जब साधन की मांग की तो कहा कि लॉकडाउन है कोई साधन नहीं है। काम बंद होने से रोजी-रोटी का संकट गहराया तो फिर मजबूरन गांव के माटी की याद आयी।