नगर निगम में जुड़ने वाले 31 गांवों के लोग एक जुलाई से शहरी हो जाएंगे। इन गांवों को विधिवत नगर निगम का हिस्सा मान लिया जाएगा। हालांकि बजट न होने के कारण इन गांवों के लोगों को शहरी होने के बाद भी सुविधाएं उन्हें गांव वाली ही मिलेंगी। शासन ने बजट मिलने के बाद ही नगर निगम इन गांवों में विकास कार्य करा पाएगा। नगर निगम प्रशासन ने तकरीबन दो सौ करोड़ रुपये का बजट मांगा है।
2016 में शुरू हुई थी नगर निगम का दायरा बढ़ाने की कवायद
नगर निगम का दायरा बढ़ाने की कवायद वर्ष 2016 में शुरू हुई थी। योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद प्रक्रिया में तेजी आई। पिछले साल प्रदेश सरकार ने 31 गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल करने की स्वीकृति दे दी थी। तब से इन गांवों को नगर निगम में शामिल होने की तिथि की सभी जानकारी मांग रहे थे। पहले कहा गया था कि वर्तमान प्रधान का कार्यकाल खत्म होने के बाद गांवों को नगर निगम का हिस्सा माना जाएगा लेकिन अब तय हो गया है कि एक जुलाई से यह गांव नगर निगम के रिकॉर्ड में शामिल हो जाएंगे।
210 वर्ग किलोमीटर का दायरे में रहेगा नगर निगम
31 नए गांवों के जुड़ने के बाद नगर निगम का दायरा 147 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर 210 वर्ग किलोमीटर होने की संभावना है। वर्तमान में नगर निगम में 70 वार्ड हैं। आखिरी बार वर्ष 2000 में नगर निगम की सीमा का विस्तार किया गया था। 31 नए गांवों के नगर निगम क्षेत्र में शामिल होने से देवरिया बाईपास, पिपराइच, देवरिया और महराजगंज रोड पर नगरीय सुविधाओं का विस्तार होगा। माना जा रहा है कि वार्डों की संख्या अब 70 से बढ़कर 90 हो जाएगी, लेकिन अभी तक इस पर फैसला नहीं हो सका है। नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या में भी इजाफा होगा।