कोरोना महामारी के प्रकोप को कम करने के लिए सरकार रोजगार सृजन की दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। इस क्रम में इस बार परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के लिए ड्रेस बनाने की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूहों को देने का निर्देश दिया गया है।
बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित परिषदीय व माध्यमिक विद्यालयों से संबद्ध प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल, सहायता प्राप्त कक्षा एक आठ तक के मदरसों के करीब 2.62 लाख बच्चों को हर सत्र में दो सेट मुफ्त यूनिफार्म उपलब्ध कराया जाता है। पहले एक लाख से ऊपर के ड्रेस के लिए टेंडर होता था। वहीं मुफ्त ड्रेस वितरण के नाम पर कमीशन का खेल खूब चलता था। स्वयं सहायता समूहों को ड्रेस बनाने की जिम्मेदारी मिलने से अब कमीशन का खेल पर भी लगाम लगनी तय है। बीएसए राकेश ङ्क्षसह ने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी के निर्देश पर महिलाओं व बेरोजगारों को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से स्वयं सहायता समूहों को ड्रेस की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
समितियां करेंगी कपड़े की खरीद
शासन के मानक के मुताबिक स्कूल प्रबंधन समितियां ड्रेस के लिए कपड़ों की खरीद कर समूहों को उपलब्ध कराएंगी। समूह की महिलाएं ड्रेस की स्कूलवार मांग के हिसाब से सिलाई करेंगी।