कोरोना काल में लोगों तक सीधे सरकारी सहायता राशि पहुंचाने के मामले में बिहार देश में अव्वल नंबर पर है। यह सरकारी मदद बाहर फंसे बिहारियों से लेकर राज्य के निवासियों तक पहुंची है। फिर चाहे वे स्कूली बच्चे हों, बुजुर्ग हों, पेंशनर हों, प्रवासी बिहारी हों या अन्य जरूरतमंद। एनआईसी के आंकड़ों के हिसाब से अभी तक डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए साढ़े 14 करोड़ से अधिक के ट्रांजेक्शन किए जा चुके हैं। ट्रांजेक्शनों की यह संख्या देश में सबसे अधिक है।
कोरोना संक्रमण के चलते बिहार सहित पूरा देश 68 दिनों तक लॉकडाउन रहा। लोग जहां के तहां फंसे रह गए। ऐसे में तमाम लोगों की नौकरियां चली गईं। लोगों के सामने खानपान का संकट हुआ। तब उन्हें तत्काल राहत देने को सरकारी इमदाद ऑनलाइन उनके खातों में भेजी गई। ऐसा सिर्फ बिहार के अंदर ही नहीं यहां से बाहर फंसे बिहारियों के लिए भी किया गया। सबसे ज्यादा पैसा तो डीबीटी के जरिए स्कूली छात्र-छात्रों को भेजा गया है। इसमें मिड-डे मील, पोशाक, साइकिल, नेपकिन, छात्रवृत्ति आदि की धनराशि शामिल है।
इसके अलावा सभी राशनकार्ड धारकों के खातों में भी एक-एक हजार रुपये भेजे गए। इनकी संख्या एक करोड़ 54 लाख से अधिक है। 19 लाख ऐसे लोग हैं जिनके पास राशनकार्ड नहीं थे। जीविका और एनयूएलएम के जरिए इनका सर्वे कराया गया। डीबीटी के जरिए सरकारी मदद का हस्तांतरण वित्त विभाग के पीएफएमएस प्रोजेक्ट के ई-लाभार्थी पोर्टल, एनआईसी और डीजीआरसी (डिजिटल गवर्नमेंट रिसर्च सेंटर) के जरिए किया गया है।