बिहार के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कोरोना को मात देती दिख रही है। मृत्यु दर हो या रिकवरी रेट सभी में बिहार की स्थिति फिलहाल बेहतर है। राष्ट्रीय स्तर पर मौत की दर जहां साढ़े तीन फीसदी के करीब है वहीं बिहार में यह एक फीसदी से भी कम है। महाराष्ट्र में मृत्यु दर का अनुपात 3.5 तो गुजरात का सात फीसदी के करीब है। उत्तर बिहार में तो मौत की दर लगभग आधा फीसदी है। बिहार में कोरोना के संक्रमित मरीज 6 से 9 दिनों में स्वस्थ हो जा रहे हैं।
किसी अन्य गंभीर रोग से ग्रसित मरीज को थोड़ी परेशानी हो रही हैं। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्धारित मानक के अनुसार 14 दिनों के आइसोलेशन के बाद ही मरीजों में सुधार की संभावना होती है। बिहार में सामुदायिक संक्रमण की स्थिति अभी है क्योंकि बिहार में करीब 25 लाख प्रवासी लौट चुके हैं। इनमें से 14 लाख क्वारंटाइन सेंटरों से भी घर लौट गए हैं। सामुदायिक संक्रमण की स्थिति होती तो एक लाख के करीब संक्रमित होने चाहिए थे जबकि अभी मात्र 5364 संक्रमित मरीज ही जांच में मिले हैं।
कोरोना के इलाज को लेकर डेडिकेटेड अस्पताल एनएमसीएच के नोडल अधिकारी डॉ. अजय सिन्हा का भी कहना है कि बिहार में औसतन 6 से 9 दिनों में कोरोना मरीज स्वस्थ हो जा रहे हैं। राज्य नोडल पदाधिकारी डॉ. एमपी सिंह ने कहा कि यहां के लोगों की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से मृत्युदर अन्य राज्यों से कम है। आईजीआईएमएस के निदेशक डॉ. आरएन विश्वास ने कहा कि अन्य राज्यों के तुलना में यहां मृत्युदर काफी कम है। एक तो प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से ऐसा है दूसरे जीन में भी कुछ खास होगा। इसका अध्ययन हो।