धार्मिक मान्यताओं और अपने औषधीय गुणों के चलते हर घर-आंगन में मौजूद मिलने वाली 'तुलसी' कोरोना की त्रासदी में भी लोगों आयुष्मान का आशीर्वाद दे रही है। वनस्पति विज्ञान में ऑसीमम सैक्टम नाम के इस पौधे को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बेहद कारगर माना जाता है। इसी का नतीजा है कि महामारी की इस मुश्किल घड़ी में तुलसी के पौधे ही नहीं उसके अर्क की मांग भी दस गुना बढ़ गई है।
ढूंढने पर भी नहीं मिल रहा तुलसी का पौधा
आमतौर पर झाड़ी के रूप में एक से तीन तक फिट की ऊंचाई में उगने और कहीं भी नजर आ जाने वाला द्विबीज पत्रीय औषधीय पौधा ढूंढने पर भी नहीं मिल रहा। राजकीय उद्यान पार्क के कर्मचारियों का कहना है कि तुलसी का पौधा यहां लगाया नहीं जाता, बल्कि खुद-ब-खुद उग जाता था। उद्यान विभाग ने लोगों को करीब तीन हजार से अधिक तुलसी के पौधे बांट दिए। उद्यान पार्क में इस समय एक भी पौधा नहीं है।
बढ़ गई तुलसी के पौधों की मांग
पौधा विक्रेताओं ने बताया कि पहले हम भी तुलसी का पौधा नहीं रखते थे, लेकिन इन दिनों मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है, ऐसे में पौधे तैयार कर बेचे जा रहे हैं। रोजाना करीब 25-30 तुलसी के पौधे बिक जाते हैं। परीजात नर्सरी के राजीव कुमार ने बताया कि हर तीसरे दिन तुलसी के 100 से 200 पौधे बनारस से मंगाए जाते हैं। पहले 15-15 दिन पर यह पौधे मंगाए जाते थे, लेकिन अब पहले ही मंगाने पड़ रहे हैं। जिले की 100 से अधिक नर्सरियों की स्थिति ऐसी ही है। राजेन्द्र नगर क्षेत्र के दवा विक्रेता योगेश कुमार ने बताया कि तुलसी अर्क की बिक्री पहले की अपेक्षा 10 गुना बढ़ी है।