वतन लौटे प्रवासियों की हुनर का फायदा यूपी भी उठाएा। उनका यही हुनर उनके जीवन यापन का सहारा बनेगा। इसीलिए उनके हुनर की परख कर उन्हें रोजगार देने की दिशा में काम शुरू हो गया है। उनके हुनर का पता लगाने के लिए उनका पूरा ब्यौरा तैयार कराया जा रहा है। मसलन, वह कहां के रहने वाले हैं, वह कहां काम कर रहे थे, उनका हुनर क्या है। राज्य सरकार प्रवासियों को उनके हुनर के मुताबिक रोजगार देना चाहती है।
राज्य सरकार का मानना है कि लॉकडाउन में लौटने वाले प्रवासियों में बहुत ऐसे हैं जो काफी हुनरमंद हैं। इसलिए उनको उनकी विशेषज्ञता के हिसाब से रोजगार दिया जाए। मसलन गारमेंट सेक्टर के मजदूर को उसी क्षेत्र में काम दिया जाए, कारपेंटर है तो उसे उसी सेक्टर का काम दिया जाए। राज्य सरकार का मानना है कि हुनरमंद मजदूरों के यूपी वापस लौटने से एक जिला एक उत्पाद में बनने वाले सामानों को इनकी हुनर के सहारे और बेहतर तरीके से तैयार कराया जा सकेगा।
डेढ़ लाख से अधिक का तैयार हुआ ब्योरा
प्रदेश के आश्रय स्थलों पर आने वालों की उनकी पूरी जन्मकुंडली तैयार कराई जा रही है। एक रजिस्टर पर उनका पूरा ब्यौरा दर्ज किया जा रहा है। प्रवासी यूपी में कहां का रहने वाला है। वह यूपी से कब बहर गया और जहां गया वहां क्या काम रहा था। उसे किस क्षेत्र में बेहतर काम आता है। यह ब्यौरा राहत आयुक्त के निर्देश पर तैयार कराया जा रहा है। प्रदेशभर में अभी तक 163300 प्रवासी श्रमिकों का ब्योरा तैयार कराया जा चुका है।