नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की तरफ से इस हफ्ते नया राजनीतिक नक्शा जारी कर नई दिल्ली के साथ तनाव बढ़ाना सुनियोजित रणनीति थी ताकि पार्टी और सरकार पर ढीली हो रही पकड़ को मजबूत किया जा सके। इस मामले से भलीभांति परिचित सूत्र ने शनिवार को यह बात बताई।
सरकार के रणनीतिक विश्लेषक ने हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा कि पीएम ओली का मुख्य रूप से उसके इस कदम के पीछे तीन मकसद हो सकता है, जिसके चलते उसने नया राजनीतिक नक्शा जारी कर कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को नेपाल में दिखाया है।
पहला ये कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में खुद को स्थापित करना, क्योंकि ऐसा माना जा रहा था कि दो पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड और माधव कुमार नेपाल उनकी पकड़ ढीली करने की कोशिश कर रहे थे। नई दिल्ली के आकलन के मुताबिक, पीएम केपी ओली दोनों पूर्व प्रधानमंत्री को बाहर का रास्ता दिखाना चाहते थे और चीन के दखल के बावजूद तीनों केन्द्र एक साथ रहने पर समहत हुए, फिलहाल के लिए।
दूसरा, नए राजनीतिक नक्शे की वजह से त्रिशंकु लिपुलेख, कालापानी और लिपिंयाधुरा पर ध्यान केन्द्रित हो गया है, जो नेपाल के उत्तर-पश्चिमी में और यह चीन और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र को उत्तर में अलग करता है और भारत के कुमाऊं को दक्षिण में।