समय पर खरीदार को फ्लैट न देने की जेल में सजा काट रहे बिल्डर को पटना हाई कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी है कि वह तीन महीने तक कोरोना से जंग लड़ रहे लोगों की मदद करेगा। इस फैसले के बाद गुरुवार को दोषी सॉफ्टवेयर इंजीनियर सह बिल्डर खालिद राशिद ने सिविल सर्जन कार्यालय में हाजिरी दी। सिविल सर्जन ने उन्हें जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एसपी विनायक के साथ लगा दिया है। फील्ड में भेजकर उससे लिखा-पढ़ी का काम लिया जाएगा।
नवंबर में सीजेएम कोर्ट ने भेजा था जेल
कोतवाली थानान्तर्गत फ्रेजर रोड के जगत ट्रेड सेंटर स्थित अमीना कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक खालिद राशिद राजधानी में एक अपार्टमेंट बनवा रहे हैं। एक फ्लैट भूतनाथ रोड निवासी सतीश कुमार की पत्नी कुमारी प्रियंका को बेचा था। पूरे पैसे देने के बावजूद जब तय अवधि के महीनों बाद भी उन्हें फ्लैट नहीं मिला तो 2018 में कोतवाली थाने में धोखाधड़ी व आपराधिक षड्यंत्र रचने की प्राथमिकी करा दी। सीजेएम कोर्ट ने धोखाधड़ी के इस मामले में खालिद को दोषी मानते हुए 18 नवंबर 2019 को जेल भेज दिया।
गलत बयान पर मिली अनोखी सजा
बिल्डर ने अधिवक्ता के माध्यम से पटना हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की। खालिद के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वह पहले ही फ्लैट दे चुका है जबकि सरकारी वकील ने इसे गलत बताया। कोर्ट में गलतबयानी के बाद हाई कोर्ट के जज अनिल कुमार उपाध्याय ने 20 मार्च को 50 हजार रुपये के बांड पर सशर्त जमानत मंजूर कर ली। पहली शर्त कि फरियादी को छह माह के अंदर फ्लैट दें। दूसरी, रिहाई की तिथि से तीन माह तक कोरोना वायरस से निपटने की प्रक्रिया में स्वयंसेवक के रूप में योगदान देंगे। लॉकडाउन के कारण कांट्रैक्टर को 22 मई को जमानत मिली।