सूरत से गाजीपुर श्रमिक स्पेशल ट्रेन में आ रही महिला की उपचार के अभाव में मौत हो गई। उसका पति इलाज के लिए रेलकर्मियों के आगे गुहार लगाता रहा, मगर इलाज नहीं मिल सका। वहीं मदद के लिए बोगी में सवार लोगों चिल्लाता रहा लेकिन कोरोना के डर से मदद को कोई आगे नहीं आया। इलाज की आस में महिला ने चलती ट्रेन में दम तोड़ दिया। महिला के साथ पति और उसकी 10 दिन की मासूम बच्ची भी थी। गाजीपुर सिटी स्टेशन पर ट्रेन पहुंचने पर महिला का शव ट्रेन का उतारा गया। इसके बाद एंबुलेंस में शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
गाजीपुर के निवासी घनश्याम चौबे सूरत की एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे। उनके साथ उनकी पत्नी अन्नपूर्णा देवी (30) भी रहती थी। लॉकडाउन की घोषणा के दौरान अन्नपूर्णा देवी गर्भवती थी और उसके प्रसव के लिए चिकित्सकों ने 12 मई की तारीख दी थी। अस्पताल बंद होने के चलते उसे 11 मई को सूरत के ही एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 13 मई को एक बालिका को जन्म दिया। इसके बाद 17 मई सरकार की ओर से श्रमिक स्पेशल ट्रेन संचालन होने पर गाजीपुर के लिए आनलाइन पंजीकरण कराया। 21 मई को सूरत से पति पत्नी अपनी 10 दिन की मासूम को लेकर गाजीपुर के लिए रवाना हुए। रविवार को प्रयागराज से ट्रेन गुजरने के बाद अचानक महिला की तबियत बिगड़ने लगी।हालात बिगड़ने के बाद पति ने इलाज के लिए गुहार लगाया, लेकिन ना ही ट्रेन रुकी और ना ही इलाज मिला।