परवल की अच्छी पैदावार होने के बाद भी थोक खरीदारों के नहीं पहुंचने से ढाका प्रखंड के कुशवंशी नगर के दर्जनों किसान बेहद चिंतित हैं। प्रखंड का यह चर्चित गांव सब्जी उत्पादन के लिए पूरे जिले सहित बगल के देश नेपाल में भी प्रख्यात है।
कुंडवा चैनपुर, कुशमहवा, मेसौढ़ा, आदापुर, घोड़ासहन, छौड़ादानों, ढाका, चिरैया, मोतिहारी सहित नेपाल के भी सिमरौनगढ़, बंकुल, राजपुर व कुड़िया आदि जगहों से प्रतिदिन सैकड़ों सब्जी व्यापारी यहां सब्जी खरीददारी के लिए आते थे। पर इस बार महाबंदी होने के कारण अगल बगल के ही बाजारों के इक्का दुक्का व्यवसायी यहां पहुंच पा रहे हैं। जो किसानों की चिंता का मुख्य कारण है। उत्पादन अधिक है पर उस हिसाब से बिक्री नहीं। इस गांव के किशोरी प्रसाद उर्फ व्यास जी, श्रीनारायण प्रसाद, रामाशंकर प्रसाद, श्याम नारायण प्रसाद, धर्मेंद्र प्रसाद, कृष्णनंदन प्रसाद, रामचंद्र प्रसाद व दिनेश प्रसाद सहित 50 ज्यादा किसान पचासों बीघा जमीन में परवल, खीरा, भिंडी व अन्य सब्जियों की खेती करते हैं।
परवल व खीरा वहां अप्रैल से निकलना प्रारंभ होता है, जो अक्तूबर नवंबर तक निकलता है। अप्रैल मई में परवल का दाम 40 रुपए प्रतिकिलो तक मिल जाता था पर इस बार 25 से 30 रुपए ही नदारद है। उससे भी बुरी स्थिति खीरा और भिंडी की है। सर्दी होने के भय से उसे कोई पूछने वाला नहीं मिल रहा। जबकि यहां 10 बीघा से ज्यादा जमीन में लोगों द्वारा खीरा की खेती की गई है। भिंडी का भी अच्छा दाम नहीं मिल रहा है। इसका कारण यह है कि बाजार सीमित समय तक ही खुल रहा है और कम खरीदार ही बाजार तक पहुंच पा रहे हैं। खुद से बाजारों तक सब्जी पहुंचाना और बेचना भी जोखिम भरा है। यदि स्थिति रहा तो इस वर्ष किसानों की कमर ही टूट जाएगी। किसानों की इस समस्या के बाबत संपर्क करने पर बीएओ रमण प्रसाद श्रीवास्तव ने कहा कि खेतों से बाजार तक यदि उत्पाद को पहुंचाने में कोई दिक्कत हो तो वे हमसे संपर्क करें। उन्हें हर संभव सहायता मुहैया कराई जाएगी। अब तक होने वाली क्षति के लिए किसी तरह के मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है।