जिले के सरकारी अस्पताल की एक बार फिर डरावनी तस्वीर सामने आई है। दरअसल, कोरोना प्रभावित लोदीपुर गांव से इलाज के लिए एक महिला सदर अस्पताल पहुंची थी, लेकिन डॉक्टरों को जैसे ही पता चला कि महिला कोरोना प्रभावित गांव से है उसे अस्पताल से भगा दिया। उससे कहा कोरोना संदिग्ध हो, पहले जांच कराओ फिर इलाज होगा। बुखार और लूज मोशन के चलते महिला की ऐसी स्थिति हो गई है कि बैठ भी नहीं सकती। जिसके बाद महिला सदर अस्पताल के गेट के बाहर सड़क पर घंटों तड़पते रही।
सुबह करीब 10:30 बजे उसे पत्रकारों ने देखा। पत्रकारों ने जब डॉक्टर से महिला को इलाज न मिलने के संबंध में पूछा तो संवेदनहीनता परिचय देते हुए डॉक्टर कहने लगे परिजन खुद उसे बाहर ले गए हैं। परिजन प्राइवेट अस्पताल ले जाना चाहते हैं। इस बाबत महिला के परिजनों ने बताया कि तीन दिन गांव में इलाज कराया। तीन हजार रुपए खर्च हो गए, लेकिन स्थिति में सुधार न हुआ। बेहतर इलाज के लिए शुक्रवार सुबह महिला को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे थे। डॉक्टरों का अजीब बयां डॉक्टर ने कहा कि महिला लोदीपुर गांव से है जहां कोरोना पॉजिटिव मिला है।
सदर अस्पताल में क्वारैंटाइन सेंटर भी नहीं है। इसलिए उसे क्वारैंटाइन करने की सलाह दी गयी और अस्पताल से बाहर भेजा गया। हालांकि मीडिया के पहल पर कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आए। मरीज को सड़क पर ही देखा। उसे ओआरएस घोल पिलाया गया। इधर मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉ. वीरकुंवर सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। जांच कराई जा रही है। जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।