पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार संकल्पित है। पहले पान की ज्यादातर खेती चौरसिया समुदाय के लोग करते थे लेकिन अब फायदे का सौदा देख अन्य वर्ग भी आगे आने लगे हैं। पिछली बार के सापेक्ष अबकी भी बड़ी तादाद में किसानों ने पान की खेती की है। पान कम लागत में ज्यादा मुनाफा देता है।
लॉकडाउन में चलते पान उत्पादकों व विक्रेताओं को आíथक क्षति भी उठानी पड़ी, लेकिन प्रदेश सरकार के कुछ शर्तों के साथ दुकानें खोलने की अनुमति दिए जाने से लोग खुश हैं। जिले के दो ब्लाक फूलपुर व पवई के विभिन्न क्षेत्रों में पान की खेती की जाती है। इसमें कनेरी, बस्तीचक, गुलर, भोरमऊ, बिलारमऊ, दखिनगांवा आदि शामिल हैं। यहां बांग्ला, कलकतिया, बनारसी व देशहेरी पान का उत्पादन होता है। उपनिदेशक उद्यान मनोहर सिंह ने बताया कि पान की खेती के लिए बरेजा (बांस लगाकर ऊंचा करना) में रोपा जाता है। उसी के ऊपर पान का पौधा चढ़ जाता है। पान की खेती के लिए ऊंची भूमि का होना अतिआवश्यक होता है।
''पान का उत्पादन जून के अंतिम सप्ताह व जुलाई माह से मंडी में आना शुरू हो जाता है। यह लगभग छह माह में तैयार होता है। इसका निरीक्षण हर 15 दिनों में किया जाता है जिससे किसानों को इससे संबंधित दिशा-निर्देश दिया जा सके।