रेलवे क्रासिग पर तैनात कर्मियों के लिए हैंडिल मारने का जमाना लदने वाला है। रेलवे ने क्रासिग पर लगे बूम (बैरियर) को उठाने के सिस्टम को इलेक्ट्रानिक आधारित कर दिया है। ड्यूटीरत बटन दबाते ही बूम उठेगा और गिरेगा भी। डीआरएम विजय कुमार पंजियार ने एक दिन पूर्व निरीक्षण में नई व्यवस्था पर संतोष भी जता चुके हैं। सिग्नलिग प्रणाली व्यवस्था के अपडेट होते ही इलेक्ट्रिकल लिफ्टिग बैरियर भी काम करने लगेगा।
रेलवे स्टेशन के पूरब साइट में करीब तीन सौ मीटर दूर रेलवे क्रासिग है। मऊ- शाहगंज रेलखंड पर स्थित यह रेलवे क्रासिग अभी तक मैनुअली काम करता था। इस रेलखंड पर नई लाइन बिछाई जाने के कारण व्यवस्थाएं अपडेट की जा रही हैं। नई तकनीकि लागू होने के बाद केबिन मैन के बटन दबाते ही बूम उठने एवं गिरने लगेगा। मसलन, इलेक्ट्रानिक आधारित होने के कारण पूर्णतया ऑटोमैटिक तरीके से काम करेगा। बैरियर गिरने से पहले हूटर जरूर बजेगा। नए सिस्टम से क्रासिग पर लगने वाले जाम से राहत मिलेगी। रेलवे क्रॉसिग पर ट्रेन के गुजरने के बाद अक्सर फाटक खोलने में देरी होने से लोगों को मुश्किल होती थी। नई सिग्नल प्रणाली में रेलवे क्रासिग को इलेक्ट्रिकल लिफ्टिग बैरियर नाम दिया गया है। एक्सईएन एके सिंह ने बताया कि इससे आम जनता सभी को लाभ मिलेगा।