कोरोना संकट को लेकर बाहर से लगातार लोगों का आना हो रहा है। इनके रहने के लिए जिला मुख्यालय के साथ-साथ प्रखंडों में क्वारेंटाइन सेंटर बनाया गया है। जहां इनकी अच्छे से देखभाल करने का अादेश है। मंगलवार को भास्कर ने जिला मुख्यालय के पीएस कॉलेज के साथ-साथ घैलाढ़, ग्वालपाड़ा और उदाकिशुनगंज के कुछ सेंटरों की व्यवस्था की पड़ताल। कुछ जगहों पर लोगों ने व्यवस्था को काफी अच्छा बताया, तो कहीं-कहीं गंभीर कुव्यवस्था का जिक्र किया।
जिला मुख्यालय के पार्वती साइंस कॉलेज में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में जयपुर से लाए गए प्रवासी 35 मजदूर रह रहे हैं। जो सदर प्रखंड के धुरगांव निवासी है। सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन करते हुए प्रति कमरे 13 लोगों को इसमें रखा गया है। यहां के लोगों ने बताया कि सभी प्रवासियों को लुंगी, गंजी, ब्रश-जिविया-पेस्ट, सैंपू, साबुन, बाल में लगाने के लिए नारियल का तेल, आईना-कंघी, नहाने के लिए बाल्टी उपलब्ध कराई गई है। क्वारेंटाइन में रह रहे लोगों ने बताया सुबह के नाश्ता में रोटी और छोला, दिन के भोजन में चावल, दाल, सब्जी और रात के भोजन में रोटी-चावल दिया जा रहा है। इनकी सुरक्षा के लिए दो बीएमपी के जवानों की तैनाती की गई है। वहीं लोगों का अन्य राज्यों से आने का सिलसिला भी जारी है। ऐसे में साइकिल व रिक्शा से आने वालों की जांच प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती है।
उदाकिशुनगंज : व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति
मध्य विद्यालय बालक में सेंटर है। यहां के लोगों को समुचित रूप से भोजन-पानी एवं अन्य सामग्री उपलब्ध नहीं हो पाने की शिकायत है। मंगलवार की दोपहर लगभग एक बजे कई लोगों ने सेंटर के गेट पर आकर परेशानी का इजहार किया। एक व्यक्ति ने बताया कि यहां सुबह के नाश्ते में एक मुट्ठी चना और थोड़ा सा गुड़ दिया जाता है। स्वच्छ पानी भी 11 से 12 बजे के बीच आता है। प्यास लगने उन्हें पानी आने का इंतजार करना पड़ता है। 2 से 3 बजे दिया जाने वाला खाना सही से पका हुआ नहीं रहता है। ऐसा लगता है जैसे उबला हुआ चावल, सब्जी दे दी गई है। इनलोगों का कहना है कि मवेशी के भोजन से भी बदतर है। एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि 50 ग्राम चना दिया जाता है। भोजन कभी दो बजे तो कभी तीन बजे दिया जाता है। पानी एक ही बार दिया जाता है, जो दोपहर में समाप्त हो जाता है। उनका कहना था कि परेशानी के कारण गाजियाबाद से यहां आए। यहां भी स्थिति ठीक नहीं है। इससे बेहतर हमलोगों को होम क्वारेंटाइन में रहने दिया जाता। यहां के आधा दर्जन लोगों ने बताया कि व्यवस्था के नाम पर खानापूर्ति की गई है। दूसरी ओर, सेंटर इंचार्ज ने अपना नाम नहीं बताते हुए यह जानकारी दी कि अव्यवस्था तो है। भोजन-पानी की समस्या आ रही है, लेकिन सुधार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति कुछ दिनों से अच्छे से रह रहा था, लेकिन आज विरोध कर रहा था। सीओ विजय कुमार राय ने कहा कि मध्य विद्यालय बालक में पूरी व्यवस्था की गई है। लोगों ने मेरे समक्ष कोई समस्या नहीं बताई है।
घैलाढ़ : मच्छरों से परेशान हैं प्रवासी
घैलाढ़ प्रखंड मुख्यालय के दुर्गा मध्य विद्यालय को सेंटर बनाया गया है। यहां 12 प्रवासी रह रहे है। इनलोगों ने बताया कि सुबह में चाय-बिस्किट, ब्रेड दिया जा रहा है। दिन के खाने में चावल, दाल, सब्जी और रात को कभी पूड़ी-सब्जी तो कभी रोटी-सब्जी दी जाती है। लोगों ने बताया कि मच्छरदानी नहीं रहने के कारण रातभर मच्छर काटते रहता है। वहीं दुर्गा उच्च विद्यालय में 8 और श्रीनगर पंचायत सरकार भवन में 4 लोग रह रहे हैं। सीओ मनोरंजन प्रसाद ने बजट के बारे में बताया कि अभी इसका कोई मेन्यू चार्ट नहीं दिया गया है। सिर्फ आपदा मद से खर्च करने के लिए कहा गया है। मच्छर से बचाव के लिए मैक्सो क्वायल दिया गया है।
चौसा प्रखंड: बरामदे में सोते हैं प्रवासी
चौसा|बाबा विशु राउत कॉलेज में 95, जनता उच्च विद्यालय चौसा में 20 व महादेव लाल मध्य विद्यालय में 65 लोग रह रहे हैं। उक्त सेंटर में रह रहे फुलौत के अशोक यादव, मिथुन कुमार, कारे राय, नवीन यादव, अखिलेश चौधरी, ज्योतिष महतो, नवाब खान आदि ने बताया कि पिछले 3 दिन से खाने में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा रहा है। लोगों का आरोप है कि उत्तम क्वालिटी का खाना उन्हें नहीं दिया जा रहा है। नाश्ते में रोटी-सब्जी, दोपहर के खाने में चावल, दाल ,सब्जी। जिसमें दाल कम और पानी की मात्रा अधिक रहती है। रात के खाने में रोटी-सब्जी जिसमें कच्ची रोटी और सब्जी की क्वालिटी सही नहीं रहती है। सीओ आशुतोष कुमार ने बताया कि खाने का मेन्यू नहीं है। खाना होटल के माध्यम से अच्छा दिया जा रहा है।
ग्वालपाड़ा : हार्ट के मरीज दारोगा कर रहे ड्यूटी
एमएमबी कॉलेज सेंटर में 24 लोग हैं। यहां पर ड्यूटी पर तैनात ग्वालपाड़ा थाना के दारोगा रंजीत कुमार मिश्रा खुद हार्ट के मरीज हैं। इस कारण से बिना मास्क लगाए हुए ड्यूटी करना इनकी मजबूरी बन गई हैं। पूछने पर कहते हैं किउन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है। उनके हार्ट की सर्जरी हुई है। परेशानी के कारण मास्क नहीं लगाते हैं। उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी वरीय पदाधिकारी को भी दिए हैं। उदाकिशुनगंज के एसडीपीओ सीपी यादव ने भी उनके बीमार रहने की पुष्टि की।
सेंटर पर की जाने वाली व्यवस्था
पंजीकृत व्यक्तियों को खाने के लिए 1-1 स्टील की थाली-कटोरी व गिलास, वापस जाते समय ये इसे अपने साथ ले जाएंगे।
पुरुषों को एक लुंगी, धोती, गंजी एवं गमछा, महिलाओं को एक साड़ी, साया एवं ब्लाउज, बच्चों को एक शर्ट-पैंट व बच्चियों को एक-एक फ्राॅक-ैंपैंट। महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन भी देना है।
नहाने व कपड़ा धोने के लिए एक-एक साबुन, शैंपू पाउच, केश तेल, कंघी, छोटा ऐनक, टूथपेस्ट एवं टूथब्रश।
पका हुआ भोजन दोपहर एवं शाम को। सुबह का नाश्ता भी। भोजन बनाने में ली जा सकता है महिलाओं एवं पुरुषों की सेवा। बदले में मिलेगा पारिश्रमिक। पका हुआ भोजन स्वच्छ एवं पौष्टिक होना चाहिए। राहत केंद्रों में पूरी तथा तले हुए खाद्य पदार्थों की आपूर्ति नहीं की जाएगी।
6 वर्ष तक के बच्चों सहित सभी व्यस्क को सुबह-शाम दूध देना है। इसके लिए सुधा मिल्क पाउडर की आपूर्ति की जाएगी।
पेयजल एवं आवश्यकतानुसार अस्थायी शौचालय की व्यवस्था। पुरुष एवं महिला के लिए अलग-अलग शौचालय। सफाई के लिए साबुन, डिटर्जेंट पाउडर, फिनायल आदि। सफाई पर विशेष ध्यान देना अनिवार्य।
प्रत्येक व्यक्ति के लिए मास्क एवं केंद्र में पर्याप्त संख्या में सैनिटाइजर की व्यवस्था होनी चाहिए। जीविका समूह से बने मास्क उपयोग पर जोर। आवश्यक औषधियों के साथ चिकित्सा। गर्भवती महिलाओं की प्रसूति की विशेष व्यवस्था।