कोरोना वैश्विक महामारी में तकनीक निश्चित रूप से कई मायनों में लोगों के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हो रहा है। बैंकिंग कामकाज से लेकर स्कूल कॉलेजों की पढ़ाई भी ऑनलाइन ही शुरू हो चुकी है। ऐसे में मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर पर बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। इन इलेक्ट्रॉनिक गजट के स्क्रीन को लगातार देखने से आंखों की पुतलियों पर दबाव बढ़ता है। मोबाइल स्क्रीन की लाइट सीधे तौर पर आंखों की रेटिना पर पड़ती है। पढ़ाई के लिए मोबाइल या कंप्यूटर पर उन्हें रोजाना 3 से 4 घंटे बिताना पड़ रहा है। बीते कुछ दिनों पहले बच्चों वैसे बच्चे जिनके आंखों पर ज्यादा पावर का चश्मा लगा हुआ है, उनके लिए और भी मुश्किल है। सुरक्षा के लिए सुबह 10 मिनट तक आंखों को गोल-गोल घुमाकर एक्सरसाइज करें।
मोमबाइन के अधिक इस्तेमाल से जलन व लाली हो सकती है। स्क्रीन की चमक और कंट्रास्ट सामान्य पेपर की तुलना में बहुत अधिक तनाव पैदा करती है। इससे आंखों की नमी और पलक झपकने की दर भी कम हो रही है। एक आंकड़ा के अनुसार स्कूल जाने वाले 10 फीसदी बच्चों की आंखों पर चश्मा चढ़ चुका है। इसका कारण अधिक देर तक इलेक्ट्रॉनिक गजट पर समय बिताना ही है। हर छह में से एक बच्चा मायोपिआ से ग्रसित है। 5 से 15 वर्ष के 17 फीसदी बच्चों को दूर देखने में परेशानी हो रही है।
अल्ट्रा वॉयलेट रे से कॉर्निया को क्षति : डॉ. आरके विश्वास
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आर के विश्वास ने बताया कि मोबाइल, लैपटॉप या कंप्यूटर से निकलने वाली अल्ट्रा वॉयलेट रे कॉर्निया को काफी नुकसान पहुंचाती है। अचानक आंखों से पानी गिरने लगता है। ज्यादा देर स्क्रीन देखने से अचानक दूर देखने पर धुंधलापन नजर आता है। आंखों के अंदर की मांसपेशियों पर अधिक खिंचाव हो जाता है और आंखों में दर्द के साथ अन्य समस्याएं बढ़ने लगती हैं। अल्ट्रा वॉयलेट रेज को रोकने के लिए स्क्रीन पर अलग से प्रबंध करना चाहिए।
एंटिग्लेयर कोटिंग से हो सकता है बचाव
डाॅ. आर के विश्वास का कहना है कि एंटिग्लेयर शीशे से ही इसका बचाव हो सकता है। इस चश्मे के शीशे के ऊपर लगी एक पतली फिल्म है, जो मोबाइल से निकलने वाली अल्ट्रा वॉयलेट रे को सौ फीसदी रिफ्लेक्ट यानि परावर्तित (लौटा) कर देती है। जबकि, साधारण ग्लास या खुली आंखों से 10 से 15 फीसदी तक यह किरण आंखों में अवशोषित हो जाती है। जो, कॉर्निया व आंखों के अन्य अंगों को प्रभावित करती है।
अधिक देर तक नहीं देखें स्क्रीन
अधिक देर तक स्क्रीन को लगातार न देखें। बीच-बीच में आंखों व गर्दन को इधर-उधर घुमाते रहें। रोजाना सुबह में 10 मिनट तक आंखों का व्यायाम करें। इसमें आंखों की पुतलियों को ऊपर-नीचे, बाएं-दाएं, चारों तरफ गोल-गोल घुमाएं। अधिक अथवा कम प्रकाश में पढ़ने-लिखने से बचें। स्क्रीन से पढ़ाई करने या ज्यादा देर स्क्रीन देखने के लिए हरा या ब्लू कलर का एंटीग्लेयर कोटिंग चश्मा का उपयोग करें। बिना पावर के चश्मे में भी एंटीग्लेयर कोटिंग शीशा का उपयोग करें। आंखों को आराम भी दें। तनावमुक्त नींद लें।