मुहल्ला श्रंगार नगर की गली नंबर 3 में एक ही परिवार के पांच सदस्यों की मौत के बाद मातम पसरा है। सबके मन में एक ही सवाल है कि आखिर कैसे यह सब हो गया, कौन है वो पत्थर दिल जिसके दो मासूमों को मारते हाथ नहीं कांपे। चारों तरफ से बंद मकान में मौत का तांडव शुरू होने से पहले अंधेरा कर दिया गया था।
लॉकडाउन के दौरान एक ही परिवार के पांच सदस्यों की शनिवार को हुई हत्या के बाद घटनास्थल का मंजर रूह कंपा देने वाला था। दोनों बच्चे आरुष और आरव एक ही बेड पर पड़े थे। दोनों के सिर के नीचे तकिया भी लगा था। मौत के बाद भी वे सोए हुए लग रहे थे। यह स्थिति देखकर लगता है कि मारने वाले ने उन्हें मौत के बाद ठीक तरह से लिटा दिया था।
ऐसी ही स्थिति दिव्या की बहन बुलबुल की थी, जबकि घर के बुजुर्ग राजेश्वर प्रसाद पचौरी का शव जरूर थोड़ा अस्त-व्यस्त लग रहा था। अचंभित करने वाली बात यह है कि पांचों शव अलग-अलग पड़े मिले हैं। जैसे कि इन्हें इनके बिस्तरों पर जाकर मारा गया हो। जिसने भी बच्चों के शवों को देखा उसी की आंखें भर आईं, सब मारने वाले को कोस रहे थे।