जिला शिक्षा पदाधिकारी ज्योति कुमार ने बुधवार को साफ कहा कि जिला प्रशासन के आदेश के बिना किताब की दुकानें नहीं खोली जाएंगी। अगर दुकानें खुली पाई गईं तो उसे लॉकडाउन का उल्लंघन माना जाएगा और ऐसे पुस्तक विक्रेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यदि दुकानें स्कूलों के परिसर में लगेंगी तो स्कूलों पर भी कार्रवाई होगी। डीईओ ने सभी निजी स्कूलों के प्राचार्य और पुस्तक विक्रेताओं को इस आशय का पत्र भी भेजा है और वर्णित बिंदुओं का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति से निपटने के लिए सम्पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा 3 मई तक के लिए की गई है। 20 अप्रैल के बाद लॉकडाउन में कतिपय रियायतें दी गईं लेकिन इसमें किताब की दुकानें छूट के दायरे से बाहर थीं। 21 अप्रैल को भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी में छात्रों के लिए किताबों की दुकान खोलने की अनुमति दे दी गई। डीईओ ने कहा कि इस एडवाइजरी के बाद बुधवार को कई स्कूलों और पुस्तक विक्रेताओं द्वारा पुस्तक वितरण और किताब बेचे जाने की सूचना मिली थी। ऐसे सभी विक्रेताओं को तत्काल प्रभाव से किताबों की बिक्री करने के लिए मना किया गया है।
डीईओ ने आदेश में कहा है कि स्कूल और पुस्तक विक्रेता, जिला प्रशासन द्वारा रणनीति तय किए जाने एवं आदेश निर्गत किए जाने के बाद ही किताबों की बिक्री और वितरण कर सकेंगे। जिला प्रशासन के आदेश के बगैर अगर दुकानें खोलकर किताबों का विक्रय या वितरण किया गया तो प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
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