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भूख से हारने लगे तो साइकिल से निकल पड़े गांव की ओर


(राकेश कुमार सिंह) उत्तर प्रदेश में कालीन उद्योग के लिए प्रसिद्ध भदोही जनपद में बिहार के काफी मजदूर लॉकडाउन के कारण मुसीबत में फंसे हैं। लॉकडाउन पार्ट- 2 में इनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। ऐसे मजदूरों में बिहार के अररिया जिला के भी 37 मजदूर भी थे। लेबर सप्लायर ने इनकी मदद करने से हाथ खड़ा कर दिया था। दुकानदार ने कुछ दिन उधार खिलाने के बाद उधार देना बंद कर दिया। इससे मजदूरों के सामने भूखे रहने की नौबत आ गई। इस मुसीबत में अररिया जिले के इन मजदूरों ने 600 किलोमीटर दूर अपने घर लौटने का फैसला कर लिया। लेकिन, उनके सामने आवगमन की समस्या थी।
क्योंकि जगह-जगह बिहार- उत्तर प्रदेश और दोनों राज्यों में जिलों की सीमाएं सील हैं। ऐसे में गाड़ी चालकों ने बिहार के लिए गाड़ी बुक करने से इनकार कर दिया। इस विकट परिस्थिति में इन मजदूरों ने 600 किलोमीटर दूर अपने घर साइकिल से ही लौटने का फैसला कर लिया। लेकिन समस्या यहां भी खत्म नहीं हुई। अधिकांश के पास साइकिल ही नहीं था। इस हालत में इन मजदूरों ने वहां के स्थानीय परिचितों से संपर्क कर साइकिलों का जुगाड़ कर लिया। इसके बाद भदोही से 21 अप्रैल को साइकिल से अररिया निकल पड़े।

23 अप्रैल को पहुंचे आरा
उत्तर प्रदेश में भदोही से वाराणसी और चंदौली जनपदों की सीमाओं को पार करते हुए मजदूर बिहार में मोहनिया बॉर्डर पहुंचे। इसके बाद बिहार में कैमूर जिला व रोहतास जिला पार करते हुए 23 अप्रैल को भोजपुर जिला साइकिल चलाते हुए पहुंच गए। यह काफिला आरा-पटना नेशनल हाईवे पर गंगा नदी में बने आरा-छपरा वीर कुंवर सिंह सेतु पार करने के लिए सारण जिला के रास्ते पर बढ़ रहा थे। मजदूरों के इन काफिले से रास्ते में दैनिक भास्कर की टीम से मुलाकात हुई।

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