नारी अब अबला नहीं रही। कई क्षेत्रों में तो पुरूष पर भी भारी दिख रही है। ये सभी महिलाएं घर और परिवार से दूर रहकर दिन रात वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ाई में दिन रात एक की है ताकि जिले को कोरोना से मुक्त किया जा सके। इन सभी महिला अधिकारियों व कर्मियों के जोश, जज्बा, जुनून देखते बनती है। सुबह होते ही ये अपनी ड्यूटी पर निकल जाती है। न खाने की चिंता न आराम करने की फुर्सत। इस बीच चाहे आंधी आये या बारिश अथवा तेज धूप इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। इन्हें अपने परिवार व बच्चों से अधिक कोराना को हराकर जिले व देश को संक्रमण मुक्त बनाने की चिंता है।
बच्चे, माता-पिता, सास-ससुर, पति व अन्य अभिभावकों से दूर रहकर ये संजीदगी के साथ बखूबी अपनी-अपनी ड्यूटी निभा रही है। मिली जानकारी के अनुसार कोरोना के खिलाफ जारी मुहिम में सक्रिया योद्धा के रूप में 50 से अधिक महिला चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी, डीपीओ आईसीडीएस, 4 परीक्ष्यमान वरीय उप समहर्ता, डीआरसीसी के प्रभारी मैनेजर, महिला हेल्पलाइन के अधिकारी, 3600 सेविका, 3400 सहायिका, 04 सीडीपीओ, 54 एलएस, मास्क बनाने में 100 से अधिक जीविका दीदियां, 100 से अधिक नगर परिषद के महिला सफाईकर्मी के अलावा पुलिस विभाग के दारोगा, महिला पुलिस लगी हुई है। इसके अलावा कई पंचायत प्रतिनिधि महिलाएं व बैंककर्मी भी कोरोना में अपनी योगदान दे रही है। साथ ही साथ जीविका दीदी मास्क बनाने में दिन रात लगी हुई है। इसके अलावा राशन कार्ड का सर्वे भी पूरे जिले में कर चुकी है।
पहले कोरोना को हराएंगे, फिर घर जाएंगे, मन से निभाउंगी जिम्मेदारी
आइसीडीएस विभाग के डीपीओ नीतू सिंह इस समय क्वाराइंट सेल में कार्य देख रही है। वे बताती है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को खत्म करने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा जो भी दायित्व दिया गया है। उसे मेहनत से कर रही हूं। अपने बच्चों से दूर डीपीओ कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में योद्धा की तरह डटी हुई हैं। वे बताती है कि जब भी घर से किसी भी सदस्य का फोन आता है तो वे पहले समाचार ही जानते है और कहते है कि सुरक्षा के साथ कार्य करना तो हम कहते है कि हमे जो जिम्मेवारी मिली है उसे निभाना हैं क्योंकि इस तरह के माहौल में कार्य करने का मौका वर्षो बाद ही किसी को मिलता है। समाज के सेवा करने से ही भगवान मिलते है। इस कार्य में वरीय अधिकारियों का भी सहयोग मिल रहा है।
खुद को सेनेटाइज कर रोज धोती हैं वर्दी
शहर के बबुनिया मोड़ पर ड्यूटी पर तैनात प्रशिक्षु अवर निरीक्षक पिंकी कुमारी बताती है कि जब ड्यूटी समाप्त होने के बाद अपने आवास पर जाती है तो सबसे पहले अपने आप को सेनेटाइज होकर वर्दी धोती है। इसके बाद ही किसी से मिलती है। कोरोना को हराने के लिए जनता का भी सहयोग मिल रहा है। अभी लक्ष्य सिर्फ एक ही है कि कोरोना को हराना है, जिसके लिए हमसब को मिलकर लड़ना होगा। वे बताती है कि जब से उनका ड्यूटी लगा है वे समय से पहुंच जाती है।
कोविड-19 की चेन तोड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी
महाराजगंज अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डा.सुजाता सुम्ब्रई ने कहा कि कोरोना के खिलाफ जंग जीतने के लिए सोशल डिस्टेंस जरूरी है। कोरोना एक छूआछूत की बीमारी है इसलिए संयम के साथ साफ सफाई का विशेष ध्यान रखे। कोविड-19 के वायरस से बचाव का एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंस है। इसलिए आप सभी भीड़ भाड़ से बचे, एक दूसरे के सम्पर्क में नहीं आएं। सभी लोग दो-दो घंटे पर हाथ धोएं और मुंह पर मास्क लगाएं और सरकार के निर्देशों का पालन करें।
घर से बड़ा जनता का दायित्व बेटे की बर्थडे पार्टी में नहीं गई
जिला निबंधन सह परामर्श केंद्र (डीआरसीसी) के प्रभारी मैनेजर सह ट्रैकिंग एवं मोनिटरिंग कोषांग के वरीय प्रभारी सुनीता शुक्ला ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण में अपने घर के दायित्व से बड़ा जनता का दायित्व है। इसके कारण अपने छह वर्षीय इकलौते बेटे के बर्थडे पार्टी में 16 अप्रैल को नहीं जा सकी। वह बताती है कि जैसे ही ट्रैकिंग एवं मोनिटरिंग कोषांग के वरीय प्रभारी बनाए जाने का पत्र मिला कि स्वयं स्कुटी चलाते हुए यूपी-देवरिया से सीवान पहुंचकर कार्य में लग गई। उसके बाद से आज तक अपने घर नहीं गई हूं। मुझे 846 लोगों का डाटा दिया गया । इसे मैने अपने सहयोगी टीम के साथ कार्य में जुट गई। वे बताती है कि सभी कोरोना के पॉजेटिव मरीजों के एक-एक रिश्तेदारों व परिवार के सदस्यों का इतिहास बनाया गया।