लॉकडाउन के 32 दिन पूरे हो गए। इस एक महीने में जिले की सूरत काफी हद तक बदल गयी है। गाड़ियों का शोर खत्म हो गया है। जानकार बताते हैं कि सुपौल में मार्च से पहले एक्यूआई 200 के करीब थी। लॉकडाउन के कारण यह 49 के आस-पास पहुंच गयी है। वातारण साफ हुआ है। पिछले एक महीने से सार्वजनिक परिवहन पर रोक लगने के कारण सड़क पर वाहनों का परिचालन 90 प्रतिशत कम हो गया है।
यही कारण है कि गुलजार रहने वाले बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों पर सन्नाटा पसरा है। शहर व ग्रामीण इलाके के बाजारों में भूत लोट रहे हैं। चौक-चौराहों पर सिर्फ पुलिसवाले दिखाई पड़ रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से नुकसान के साथ फायदा भी हुआ है। मौसम सुहावना हो गया है। प्रदूषण की समस्या काफी हद तक दूर हो गयी है। जाम से कराह रही सड़कें राहत की सांस ले रही है। हवा में उड़ता धूल और धुएं का गुबार खत्म हो गया है। इस एक महीने में काफी कुछ बदल गया है। लोगों के जीने का नजरिया बदल गया है। गरीबों व जरुरतमंदों की मदद के लिए लोगों का आगे आना अच्छा संकेत हैं।
स्कूल बंदी के कारण बच्चों को ढोने की गाड़ी भी बंद
स्कूल समेत सभी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं। अभिभावकों ने छात्रों को घर से निकलने से रोक दिया है। एक महीन पहले हालात ऐसे नहीं थे। सुबह और दोपहर बाद यूनिफार्म पहने छात्रों का झुंड सड़कों पर नजर आता था। छुट्टी होने पर स्कूल वाहनों के कारण जाम लग जाता था। यही हाल हर एक घंटे पर कोचिंग संस्थानों में बैच खत्म होने के बाद होता था। लोगों की माने तो सिर्फ सुपौल में कई प्रखंड के एक लाख से अधिक छात्र किराये पर रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। विपदा की इस घड़ी ने कामगारों को घर की याद दिला दी। रोजी-रोटी के लिए दूसरे प्रदेशों में रहने वाले हजारों लोग अपने घरों में लौट गये हैं। गांवों में तो कई ऐसे घरों में चहल-पहल दिख रही है जहां वर्षों से ताला बंद था। सुनसान पड़े गांवों में फिर से लोग दिखने लगे हैं। लॉकडाउन के कारण आपस में परिवार व आसपास के लोगों के साथ अधिक समय कटने लगा है।
पहले 80 हजार ली. पेट्रोल रोज बिकता था अब 30 हजार ही हो रही है बिक्री
लॉकडाउन से पहले जिले के 56 पेट्रोल पंप पर जहां लगभग 168 हजार लीटर डीजल और 80 हजार लीटर तक पेट्रोल की बिक्री होती थी। वहां आज के समय में सन्नाटा पसरा रहता है। पेट्रोल पंप मालिक व व्यापार संघ के अध्यक्ष अमर कुमार चौधरी ने बताया कि जिले में लॉकडाउन से पहले जहां लगभग 168 हजार लीटर डीजल और 80 हजार लीटर पेट्रोल की खपत होती थी। वहां आज के समय में स्थिति यह है कि लगभग 30 हजार लीटर डीजल और 7 हजार लीटर पेट्रोल की बिक्री हो रही है। लॉकडाउन के बाद आवाजाही कम होने और वाहनों के परिचालन लगभग बंद होने के कारण पेट्रोलियम पदार्थ के बिक्री पर असर पड़ा है।
7 टन से अधिक कचरा निकलना बंद
जानकार बताते हैं कि लॉकडाउन के बाद लगभग 80 प्रतिशत दुकानों के बंद रहने के कारण लगभग 7 टन से अधिक कचरा निकलना बंद हो गया है। नगर परिषद के ईओ के मुताबिक पहले नगर क्षेत्र से प्रतिदिन 22 टन कचरे का उठाव होता था जो कि अब घटकर 15 टन हो गया है।
सांस संबंधी बीमारी वाले लोगों को होगा लाभ
^लॉकडाउन के कारण प्रदूषण में काफी कमी आई है। वातावरण साफ हो गया है। इससे खासकर सांस संबंधी बीमारी वाले लोगों को काफी फायदा होगा। अस्थमा, मधुमेह, कैंसर, टीवी और हृदय संबंधी समस्याएं कम होगी। लोग बीमार कम पड़ेंगे। मृत्यु दर में भी कमी आएगी। प्रदूषण कम होने से लोगों के उम्र में भी वृद्धि होगी।
- डाॅ. रामचन्द्र कुमार, चिकित्सक, सुपौल