कोरोना वायरस से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन का दूसरा फेज चल रहा है। वहीं लॉकडाउन की वजह से अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर अपने घर जाने को बैचेन हैं। ऐसे में गाजियाबाद से करीब 900 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय कर 9 दिनों में 10 मजदूर मंगलवार को यूपी बिहार के बार्डर पर कर्मनाशा पहुंचे। इन मजदूरों की बार्डर पर स्वास्थ्य जांच की गई। ये सभी लोग गाजियाबाद में मजदूरी करते थे। लेकिन लॉकडाउन की वजह से ये लोग वहीं फंस गए थे। ये लोग पटना, बांका व अररिया के के रहनेवाले हैं। लॉकडाउन में यातायात का साधन नहीं मिलने की वजह से ये लोग गाजियाबाद में ही कई दिनों से फंसे हुए थे। अंत में 5 साइकिलों पर सवार होकर सभी 10 लोग यूपी के रास्ते बिहार की सीमा पर कर्मनाशा पहुंच गए।
रास्ते में खाना पड़ा पुलिस का डंडा : चिलचिलाती धूप में यहां पहुंचने के बाद प्रवासी मजदूरों ने अपनी दर्द भरी दास्तां सुनाई। गोद में नन्हा बच्चा लिए प्रीति देवी पति धीरज कुमार झा ने बताया कि इस चिलचिलाती धूप में पति साइकिल चलाते रहे और मैं गोद में बच्चे को लेकर साइकिल के पीछे बैठी रही। हम लोग गाजियाबाद से आ रहे हैं और हमें बांका जिला के सिमरिया साहबगंज जाना है। रास्ते में भोजन पानी कराने वाला कोई नहीं मिला। रास्ते में हमारे पति को पुलिस का डंडा भी खाना पड़ा। इस महिला की दर्द भरी दास्तां सुनने के बाद यहां मौजूद लोग भावुक हो उठे।
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