800 करोड़ के मेडिकल कॉलेज को डोनेट की गई एकमात्र एंबुलेंस खराब है। इसकी वजह से रेफर मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। विदित हो कि सात मार्च को सीएम ने जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया था। इसे विश्व स्तरीय अस्पताल का दर्जा भी स्वास्थ्य विभाग ने दे रखा है। यहां पूरे जिले के सरकारी अस्पतालों से भी ज्यादा डॉक्टर और अन्य स्टाफ पदस्थापित हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि संस्थागत संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
मेडिकल कॉलेज के पास अपना एक अदद एंबुलेंस नहीं है। 10 हाईटेक ऑपरेशन थियेटर हैं, पर औजार को स्टरलाइज करने वाला उपकरण नहीं है। सामान्य जांच के लिए ऑटो इनलाइजर मशीन तक नहीं है। इमरजेंसी में बेड के पास तक ऑक्सीजन पाइप तो बिछी हुई है पर मरीजों को लाभ नहीं मिल रहा है।
यहां से भी मरीजों को पटना या दरभंगा रेफर किया जाता है
यहां आने वाले गंभीर मरीज जिन्हें दरभंगा या पटना रेफर किया जाता है, वहां जाने के लिए उन्हें एंबुलेंस तक नहीं मिल पा रही है। बुधवार काे भी यहां ऐसी ही एक घटना हुई। सुखासन पंचायत के सुभाष यादव को चार दिन से आंत में तकलीफ थी। मंगलवार को लगभग 11 बजे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। तीन बजे के बाद उनका इलाज शुरू हुआ। रात में ही बोल दिया गया कि यहां जरूरी जांच की सुविधा नहीं है, बाहर ले जाना होगा। बुधवार की सुबह लगभग 11 बजे उन्हें डीएमसीएच रेफर कर दिया गया। एंबुलेंस की मांग की गई, तो कहा गया कि पावर ग्रिड से मिली एकमात्र एंबुलेंस खराब है। कोई मदद नहीं कर सकते। इसके बाद परिजन ई-रिक्शा से मरीज को ले जाने लगे।
स्टरलाइज करने वाली मशीन नहीं
मार्च में मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन के समय जाेर-शोर से प्रचारित किया गया कि यहां 10 मॉड्यूलर हाईटेक ऑपरेशन थियेटर बने हैं। सीएम को दिखाने के लिए दो आॅपरेशन भी किए गए पर सच्चाई कुछ और है। यहां का ऑपरेशन थियेटर बंद पड़ा है। क्योंकि आॅपरेशन थियेटर के लिए जरूरी स्टेबलाइजर और उपकरण को स्टरलाइज करने वाले उपकरण तक नहीं है।
एंबुलेंस दिए ही नहीं पर कर दिया देने का दावा
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के उपाधीक्षक डॉक्टर बीएन गुप्ता से पूछा गया तो उन्हाेंने कहा कि अपनी कोई एंबुलेंस नहीं है। पावर ग्रिड द्वारा एक डोनेट की हुई एंबुलेंस है। वह भी अभी कोरोना संक्रमण के दौर में काफी चल गई है। इस कारण से वह खराब हो गई, ठीक करने के लिए गैराज भेजे हैं। कहा कि हमलोगों ने प्राथमिक इलाज के बाद ही रात को बोल दिए थे कि मरीज को दरभंगा ले जाना होगा। इसके बाद एंबुलेंस की व्यवस्था करने के लिए सदर अस्पताल को फोन किया गया, लेकिन रात में संपर्क स्थापित नहीं हो पाने सेे एंबुलेंस नहीं आ पाई। सुबह में एंबुलेंस आई तो उससे मरीज को दरभंगा भेजा गया। जबकि तस्वीर बताती है कि मरीज को ई-रिक्शा से उसके परिजन अस्पताल परिसर से ले जा रहे हैं। परिजन कह भी रहे हैं कि उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली।
उद्घाटन के बाद से ही विवादों में है अस्पताल
उद्घाटन के बाद से ही विवादों में रहने वाले मेडिकल कॉलेज अस्पताल की खामियां उजागर न हो, इसके लिए यहां अघोषित रूप से मीडिया कर्मियों के प्रवेश पर रोक लगा रखी गई है। मीडियाकर्मी जैसे ही कैंपस में प्रवेश करते हैं, गेट पर गार्ड उनसे सवाल करता है, अगर आप मीडिया से हैं, तो अधीक्षक साहब के आदेश के बिना प्रवेश नहीं कर सकते हैं। मंगलवार को भी ऐसा ही हुआ। जबकि मीडियाकर्मियों ने कैमरे पर गार्ड से सवाल करना शुरू किया, तो वह बंगले झांकने लगा। अस्पताल उपाधीक्षक भी सटीक जवाब नहीं दे पाए।