नगर परिषद के अधीन कलेक्टर आवास के समीप के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम पार्क की रखवाली और बुकिंग करने वाले अपने चार कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से नौकरी से हटा दिया है। नौकरी से हटा दिए जाने के बाद ये चारों कर्मचारी अब रोड पर आ गए हैं। पार्क में कार्यरत सभी चाराें कर्मियों को नगर परिषद के द्वारा लॉकडाउन का हवाला देते हुए अगले आदेश तक के लिए सेवा से मुक्त कर दिया गया है।
नप के कार्यालय आदेश में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के संक्रमण से संभावित खतरे से बचने के लिए एहतियात के तौर पर अगले आदेश तक के लिए पार्क को बंद किया जाता है। ऐसे में 24 अप्रैल को जारी किए गए पत्र में इन कर्मचारियों को 25 मार्च से ही हटा दिया गया। पत्र में पार्क के टिकट संग्राहक मो. शब्बीर आलम से कहा गया है कि पूर्व के दैनिक वसूली एवं मासकी वसूली के रुपए कार्यालय में जमा कर दें।
वेतन मांगने पर मिला नौकरी से हटाने का पत्र
कार्यपालक पदाधिकारी के इस आदेश से रोड पर गए माली मो. खन्नूउदीन, चौकीदार जयकांत यादव और चंदन कुमार व टिकट संग्राहक मो. शब्बीर आलम कहते हैं कि वे जब वेतन की मांग करने गए तो उन्हें नौकरी से हटा देने की बात कही गई। इसका पत्र भी आसानी से नहीं मिला। अब यह पत्र मिला है। उनलोगों ने बताया कि नौकरी से हटा देने के बाद उनलोगों के सामने रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई है। इनलोगों ने कहा कि इस पार्क में प्रवेश शुल्क के रूप में पांच रुपए का टिकट निर्धारित था। इससे प्रतिमाह औसतन नगर परिषद को 15 हजार से ज्यादा की कमाई होती थी। शुरुआत में 35-40 हजार कमाई होती रही। हालांकि यहां के सामान की टूट-फूट के बाद मरम्मत नहीं होने के कारण लोगों ने आना कम कर दिया। उन लोगों को प्रतिमाह वेतन के रूप में 6810 रुपए मिलते थे। माली मो. खन्नूउदीन और टिकट संग्राहक मो. शब्बीर आलम ने कहा कि काेरोना का कहर पहले से है। अब रमजान का पर्व चल रहा है। ऐसे में नौकरी से हटा देने से परिवार सहित भूखे मरने की नौबत आ जाएगी।
कोरोना संकट के कारण हटाया गया है
कोरोना संकट को लेकर तत्काल इनलोगों को नौकरी से हटा दिया गया है। लॉकडाउन के बाद पार्क को नगर परिषद नहीं चलाएगा, इसका टेंडर निकाला जाएगा। उसके बाद निर्णय ठेकेदार के अधीन होगा कि किसको रखना है और किसको नहीं रखना है।