रमजान का पाक महीना आज से शुरू हो रहा है। अल सुबह रोजेदार उठकर सेहरी खाएंगे और शनिवार से पूरे दिन रोजा रखकर सूरज ढलने के बाद इफ्तार के साथ रोजा खोलेंगे। इमारते शरिया जिला कमेटी के सचिव मो. जमालुद्दीन ने बताया कि कई जगह चांद दिखा है इसलिए पहला रोजा शनिवार को होगा। जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती मोहम्मद अकबर ने कहा कि 30, 29, 28, 27 एवं 26वां रोजा सबसे बड़ा होगा।
जबकि पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा व पांचवां रोजा सबसे छोटा होगा। उन्होंने कहा कि रमजान में रोजे रखने से मतलब सिर्फ खाने-पीने की चीजों से दूर रहना नहीं, बल्कि रोजा रखने के बाद व्यक्ति को गलत कामों से भी बचना चाहिए। रोजे में व्यक्ति को न तो गलत बोलना चाहिए और न ही सुनना। रोजे के दौरान सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का ही नियम नहीं है, बल्कि आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाता है यानि न बुरा देखें, न बुरा सुनें और न ही बुरा कहें। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके द्वारा बोली गई बातों से किसी की भावनाएं आहत न हो। उन्होंने बताया कि इबादत का फल बांकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक इस बार 25 अप्रैल शनिवार से रोजे रखे जाएंगे। इस्लाम में बताया गया है कि रोजे रखने से अल्लाह खुश होते हैं। सभी दुआएं कुबूल होते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस महीने की गई इबादत का फल बाकी महीनों के मुकाबले 70 गुना अधिक मिलता है।
चांद के दिखने के बाद से ही मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह के समय सहरी खाकर इबादतों का सिलसिला शुरू कर देते हैं। इसी दिन पहला रोजा रखा जाता है। सूरज निकलने से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है। सूरज ढलने के बाद रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है।
पांच बुनियादी स्तंभों में एक है रमजान का रोजा
इस्लाम के 5 बुनियादी स्तंभों में रमजान का रोजा एक स्तंभ है। इस साल सबसे छोटा 16 घंटा 25 मिनट तो सबसे बड़ा 17 घंटा 15 मिनट का रोजा होगा। इमाम मुफ्ती मोहम्मद अकबर ने बताया कि रमजान इस्लामी कैलेंडर का 9वां महीना है। रमजान में तरावीह की नमाज पढ़ने, कुरआन पढ़ने, अपनी तथा अपने समाज व देश की उन्नति के लिए अल्लाह से दुआ करने, दान देने और धार्मिक काम करने का बहुत महत्व है।