बिहारीगंज प्रखंड क्षेत्र के मोहनपुर पंचायत के रहटा गांव की एक 46 वर्षीया महिला के शुक्रवार की शाम को कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आ गया। रात में पूरा प्रशासनिक महकमा सक्रिय होकर महिला और उसे लेकर पटना जाने वाले ऑटो ड्राइवर के परिवार-रिश्तेदार के लोगों को क्वारेंटाइन करने जाने लगा रहा।
शनिवार दोपहर तक 42 लोगों को मधेपुरा के मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट कर दिया। इसमें डेढ़ दर्जन बच्चे भी हैं। मेडिकल कॉलेज के कोविड-19 के नोडल पदाधिकारी डॉक्टर बीएन गुप्ता और डीपीआरओ रजनीश कुमार राय ने बताया कि सभी 42 लोगों का सैंपल लिया गया। जिसमें महिला का यहां इलाज करने वाले दो डॉक्टर भी शामिल हैं। इसके अलावा बिहारीगंज से कनेक्शन होने की सूचना पर सिंहेश्वर के गौरीपुर पंचायत के वार्ड एक की एक पति-पत्नी का भी सैंपल लिया गया। दूसरी ओर, शनिवार को एनएमसीएच में महिला के साथ रहे उसके पति, बेटा, बेटी और ऑटो ड्राइवर का भी सैंपल लिया गया। महिला गांव की ही एक सरकारी स्कूल में रसोइया है। इधर, इस घटना के बाद से खासकर बिहारीगंज से सटे उदाकिशुनगंज और ग्वालपाड़ा प्रखंड के गांवों में दहशत का माहौल देखने को मिला। जिला प्रशासन के आदेश से तो महिला के घर को केंद्र मानते हुए तीन किलोमीटर के मोहनपुर पंचायत के पांच गांव मोहनपुर, गंगोरा, फतनी, तारारही और मोहनपुर निष्फ को कंटोनमेंट जोन घोषित करते हुए गांव आने और जाने से सभी प्रवेश और निकास के रास्ते को बांस-बल्ले से बैरिकेडिंग कर सील कर दिया गया। इन गांवाें में रात से ही बाहरी लोगों की आवाजाही को निषेध कर दिया गया। इसके अलावा लोगों ने भी अपने-अपने गांव के टोले-मोहल्ले की सड़क पर बैरिकेडिंग कर दिया है। बिहारीगंज के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. समीर कुमार दास ने बताया कि डोर- टू- डोर सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है। साथ ही पूरे पंचायत को सैनिटाइज भी करवाया जा रहा है। 35 लोगों को शुक्रवार की रात ही एंबुलेंस से मधेपुरा भेजा गया। जिसमें ऑटो चालक परिवार का 9 सदस्य के अलावा पीड़िता का बेटा पुत्रवधु, पोती, भतीजी समेत 26 सदस्य थे। दिनभर प्रशासनिक पदाधिकारियों का तांता लगा रहा। डीएम नवदीप शुक्ला, एसपी संजय कुमार सिंह, एडीएम उपेंद्र कुमार, सीएस डॉ. सुभाषचंद्र श्रीवास्तव, उदाकिशुनगंज के एसडीएम एसजेड हसन आदि ने भी गांव पहुंचकर कार्यों की समीक्षा की।
शाम 7 बजे रिपोर्ट पॉजिटिव आई, 4 घंटे रही जनरल वार्ड में, सुबह मौत की उड़ने लगी खबर
मधेपुरा।बिहारीगंज प्रखंड के मोहनपुर पंचायत के रहटा की जिस महिला मरीज को शुक्रवार को कोरोना संक्रमित पाया गया, उसे रात के पौने 11 बजे तक आईजीआईएमएस के जनरल वार्ड में ही रखा गया। मरीज के पति ने उस समय भास्कर संवाददाता को फोन पर बताया कि शाम साढ़े सात बजे के आसपास रिपोर्ट आने के बाद भी वे लोग यहीं हैं। सिर्फ नर्सिंग स्टाॅफ ही एक-दो बार उसे देखने आए। कोई डॉक्टर देखने नहीं आया।
परिजन ने गुहार लगाई की यहां की व्यवस्था उसे ठीक नहीं लग रही है। उसने मिन्नत की कि किसी तरह उनलोगों को सुरक्षित वार्ड में शिफ्ट कराया जाए, ताकि जनरल वार्ड के अन्य मरीजों को कोई खतरा न हो। यहां रसूखदार पैरवी वाले के मरीज की ही ठीक से देखभाल होती है। उसने यह भी बताया कि उसकी पत्नी (कोरोना संक्रमित) को पेट में पांच माह से दर्द हो रहा था। फिर स्थिति जानने के लिए संवाददाता ने बेटे से वार्ड का वीडियो बनवाकर मंगाया, तो स्थिति भयावह थी। हालांकि आधे घंटे के बाद एंबुलेंस से सभी को एनएमसीएच ले जाया गया। इनकी पीड़ा यहीं समाप्त नहीं हुई। सुबह में उसके गांव और आसपास से कई तरह की अफवाह उड़ने लगी। किसी ने बेटे को फोन कर बता दिया कि उसकी मां की मौत हो गई है। इसके बाद बाद तो उसका दिल बैठ गया।
सुबह लगभग 9 बजे जब भास्कर संवाददता ने फिर उससे बात की तो उसने अपनी पीड़ा बताई। चूंकि उसे मरीज के पास वार्ड में भी नहीं जाने दिया जा रहा था तो उसे भी डर सताने लगा कि संभव है कि मां की मौत हो गई। लेकिन भास्कर संवाददाता ने उसे ढाढ़स बंधाया और कहा कि ऑफिसियली सूचना पर ही विश्वास करे। बाद में शाम को महिला के बेटे से जब बात हुई तो उसने संतोष जाहिर किया। उसकी मां की मौत की खबर झूठी थी।
दूसरी ओर, महिला के पति कहते हैं कि 23 अप्रैल को आईजीआईएमएस में भर्ती कराने के साथ ही जांच के नाम पर उससे शुक्रवार की शाम तक 55 हजार रुपए खर्च करा दिए गए। यह रुपए बेटे ने किसी तरह इंतजाम किया। वह यह भी कहते हैं कि विपत्ति के समय जब कोई गाड़ी वाला पटना जाने के लिए तैयार नहीं हुआ, ताे गांव के ही एक युवक को अपनी ऑटो से पटना लेकर चलने को तैयार किया। महिला के पति का कहना था कि बीमार पत्नी को जब पटना में कई तरह की सूई दी गई तो वह ठीक होने लगी, खाना भी खाया। इससे खुशी हुई। लेकिन कोरोना रिपोर्ट आने के बाद से सदमे में हैं।
उसे आश्चर्य हो रहा है कि आखिर जब उसकी पत्नी घरेलू है, कहीं बाहर नहीं गई, परिवार के सदस्य भी हाल-फलहाल बाहर नहीं गए, तो वह कोरोना पॉजिटिव कैसे आ गई। दुर्भाग्य यह भी कि महिला के संक्रमित होने के बाद ऑटो ड्राइवर भी खुद वहां फंसा हुआ है और उसके पूरे खानदान के सदस्य यहां के मेडिकल कॉलेज में आईसोलेट हैं।